खबर इण्डिया ,लखनऊ
समाज सेवा के प्रति समर्पण और मानवता के लिए काम करने का जज़्बा जब किसी के भीतर सच्चाई से जन्म लेता है, तब व्यक्ति अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर समाज के लिए खुद को समर्पित कर देता है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है योगिनी नीलम ने, जो उत्तर प्रदेश शासन में सरकारी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थीं।

योगिनी नीलम ने वर्षों तक सरकारी सेवा में रहकर अपने कर्तव्यों का ईमानदारी के साथ पालन किया। लेकिन समय के साथ उनका झुकाव समाज सेवा की ओर बढ़ता गया। समाज में महिलाओं, दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों और निर्धन परिवारों के लिए जो कार्य वे अपने व्यक्तिगत स्तर पर कर रही थीं, उन्हें और व्यापक रूप देने के उद्देश्य से उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया —
उन्होंने समाज की सेवा के लिए अपनी सरकारी नौकरी स्वेच्छा से त्याग दी।

सरकारी नौकरी छोड़ना किसी भी व्यक्ति के लिए आसान निर्णय नहीं होता, लेकिन योगिनी नीलम के लिए यह कदम उनके अंदर की समाज सेवा की पुकार का जवाब था। आज वे पूरे मन, पूर्ण समर्पण और निस्वार्थ भाव से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच जाकर कार्य कर रही हैं।

उनके द्वारा किए जा रहे प्रमुख कार्यों में शामिल हैं—
जरूरतमंद परिवारों की आर्थिक सहायता
वृद्धजन सेवा
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग
धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में सेवा
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रोत्साहन
अनाथ एवं दिव्यांगजन कल्याण के कार्यक्रम

योगिनी नीलम के इस साहसिक निर्णय और समाज सेवा के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है। आज वे न केवल एक वरिष्ठ समाजसेविका के रूप में जानी जाती हैं, बल्कि कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन चुकी हैं।
समाज के हित में अपनी स्थायी नौकरी तक का त्याग करने वाली योगिनी नीलम यह संदेश दे रही हैं कि—
“जब सेवा ही जीवन का उद्देश्य बन जाए, तब कोई भी त्याग बड़ा नहीं होता।”









